छठ पूजा के इन नियमों को जरूर पढ़ें वरना पूजा का दुष्प्रभाव पड़ेगा
छठ के पर्व जिससे पूरे देश आस्था जुड़ी है , जो 5 दिनों तक मनाया जाता है। छठ का व्रत काफी कठिन होता है, जिस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है। च
आइए जानते हैं कि छठ पूजा के नियमों के बारे में।
छठ पूजा के खास नियम
छठ पूजा का पर्व नहाय-खाय के दिन से आरंभ होता है, जिस दिन घर की साफ-सफाई जरूर करनी होती हैं। नहाय-खाय के दिन सभी घरवालों को सादा-सात्विक भोजन करना चाहिए और साफ़-शुद्ध कपड़े पहनने चाहिए।
छठ का प्रसाद केवल माटी के चूल्हे पर बनाना माना जाता है। जिन महिलाओं और पुरुषों ने व्रत रखा है, केवल उन्हें ही छठी माईया का प्रसाद बनाना चाहिए। प्रसाद बनाते समय शुद्धता और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
जो महिलाओं छठ का व्रत रखती हैं, उन्हें उपवास के दौरान जमीन पर सोना चाहिए लेकिन कुछ बिछा कर। व्रत के दौरान किसी से झगड़ा न करें और ना किसी को अपशब्द कहे इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
छठ का पर्व पहले के बिहार में ही मनाया जाता था।
परंतु अब यूपी, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए भी छठ पूजा का विशेष महत्व है।
यह पर्व हर साल दिवाली के छह दिन बाद भगवान सूर्य और छठ मैया को समर्पित चार दिन तक मनाया जाता है, इसका आरंभ कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और समापन सप्तमी तिथि को होता है।
छठी माईया का व्रत काफ़ी कठिन होता है, क्योंकि व्रत में पूरे 36 घंटे तक निर्जला उपवास होता हैं। ऐसे में अगर आप पहली बार छठ पूजा कर रखते हैं, तो आपको इस व्रत से जुड़े खास नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। नहीं तो आपको पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलेगा। इसलिए नियमों को ओर ध्यान से पढ़ें।
छठ पूजा होती क्यों है?
छठ पूजा में भगवान सूर्य और छठी मैया की उपासना की जाती है। 36 घंटे के निर्जला व्रत के दौरान दो बार सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सबसे पहले (शाम) ढलते सूर्य को और फिर अगले दिन (सुबह)उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
मान्यता के अनुसार, छठ का व्रत खासतौर पर महिलाएं अपनी संतान के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं।
माना जाता है कि यदि माताएं सच्चे मन से ये व्रत करती हैं, तो छठी मैया उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।