शायद सिन्हा जिनके बिना छठ पूजा ही अधूरी सी लगती है। उनका निधन हो गया। वह काफी समय से बिमार थी। उनका इलाज एम्स में चल रहा था।
शारदा सिन्हा एक ऐसा नाम है जिनके गीतो के बिना बिहार के लोगों की सबसे महत्वपूर्ण पूजा छठ पूजा अधूरी मानी जाती है। शारदा सिन्हा के गीत लोगों के दिलों में घर कर जाते हैं। आईए जानते शारदा सिन्हा जी की कुछ विशेष बातें
1 अक्टूबर 1953 को बिहार के हुलास गांव में जन्मीं शारदा सिन्हा ने संगीत की शिक्षा रघु झा, सीताराम हरि दांडेकर और पन्ना देवी से प्राप्त की। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय और प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से भी डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और मगही में लोक संगीत के प्रतिपादक के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। उनकी अनूठी शैली ने न केवल उनके राज्य में बल्कि देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में भी उन्हें व्यापक लोकप्रियता और पहचान दिलाई हैं। उनके नाम बड़ी संख्या में रिकॉर्डिंग्स हैं। वर्तमान में, वह महिला कॉलेज, समस्तीपुर के संगीत विभाग की प्रमुख थी । उन्हें 1999-2000 के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इससे पहले उन्हें पद्मश्री सम्मान मिल चुका है.
उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के आलावा कई हिन्दी गीत भी गाये। मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन तथा गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में इनके द्वारा गाये गीत काफी प्रचलित हुए थे। उनके गाये गीतों के कैसेट संगीत बाजार में सहजता से उपलब्ध है। दुल्हिन, पीरितिया, मेंहदी जैसे कैसेट्स काफ़ी बिकती थी । बिहार के छठ पूजा एवं यहाँ से बाहर दुर्गा-पूजा, विवाह-समारोह या अन्य संगीत समारोहों में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीत अक्सर सुनाई देते थे।