कोरोनावायरस से भी बड़ा वायरस
एक ऐसा वायरस जिससे भारत में 1 करोड़ लोग मारे गए थे।
इस महामारी ने पूरी दुनिया में आतंक मचाया था।
इस वायरस ने भारत में सबसे पहले, विश्वयुद्ध 1 से लोट रहे एक भारतीय सैनिक को संक्रमित किया था।
और वही से यह वायरस भारत में फैलना शुरू हुआ।
इस वायरस नाम स्पैनिश फ्लू था।
उस वक्त दालमऊ में गंगा घाट में हर तरफ लाशें ही लाशें पड़ी थी।
अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां खत्म हो गई थी।
शहरों, गांवों में हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था।
जब यह संक्रमण फैल रहा था तो एक किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह दृश्य दिखाई देने लगे थे।
कोई किसी के पास जाने से भी कतरा था।
स्पैनिश फ़्लू सन 1918 में पूरे विश्व में फैली एक विश्वमारी थी जिसे 1918 की फ्लू महामारी भी कहते हैं।
इसे अक्सर 'मदर ऑफ़ ऑल पैंडेमिक्स' यानी सबसे बड़ी महामारी कहा जाता है।
इस फ़्लू ने दुनिया की एक-तिहाई आबादी को संक्रमित कर दिया था। इसकी वजह से महज दो सालों (1918-1920) में 2 करोड़ से 5 करोड़ के बीच लोगों की मौत हो गई थी।
1911 और 1921 के बीच का दशक एकमात्र जनगणना काल था जिसमें भारत की आबादी गिर गई थी, जो ज्यादातर स्पैनिश फ्लू महामारी के कारण हुई थी।
भारत में ही एक अनुमान के हिसाब से 1 करोड़ 80 लाख लोग मारे गए।
यहां तक भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी एक संक्रमण हो गया था।
गांधी जी की पुत्रवधू गुलाब और पोते शांति की मौत भी स्पेनिश फ्लू से हुई थी।
अपने संस्मरणों में, हिंदी कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' ने लिखा, "शवों के साथ गंगा में सूजन थी।"
1918 के सैनिटरी कमिश्नर की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दाह-संस्कार के लिए जलाऊ लकड़ी की कमी के कारण भारत भर में सभी नदियों को शवों से भरा गया था।
यह फ्लू बॉम्बे में एक लौटे हुए सैनिकों के जहाज से 1918 में पूरे देश में फैला था। हेल्थ इंस्पेक्टर जेएस टर्नर के मुताबिक इस फ्लू का वायरस दबे पांव किसी चोर की तरह दाखिल हुआ था और तेजी से फैल गया था।
जो लोग इस महामारी से बचें थे उनमें एक खास तरह का इम्यून सिस्टम बन गया था। जिसके गुण कहीं ना कहीं आज भी हम सभी में मोजूद है।
इसलिए हम सब कोरोनावायरस से लड़ पाए।